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गुफा से बाहर निकलते ही मोह माया फिर से आपको जकड़ लेती है। मैं भी जैसे ही गुफा से बाहर आया तो मुझे भी अपने साथियों की याद आई. जाने वो कहाँ रह गए? यह सोचता हुआ और भोले नाथ से अगले वर्ष फिर बुलाने की प्रार्थना करता हुआ सीडियां उतरने लगा। जूताघर से से अपने जूते लिए । उस समय ठीक 2:30 बज रहे थे यानि की मैं किसी भी हिसाब से लेट नहीं था। नीचे उतर कर एक लंगर से बेसन का एक पुड़ा मीठी चटनी के साथ खाया और दूसरे से एक कटोरी खीर। तीसरे लंगर से गरम चाय पी और फिर से तरोताजा हो वापसी शुरू कर दी।